9th Feb 2021 | Public Statement | Uttarakhand Tragedy: ‘Natural disaster’ or ‘Willful Negligence’?

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We express our grief and utmost anguish for the lives lost in the tragic event that occurred in Chamoli Uttarakhand. We hear that hundreds are missing and several feared dead. We are also aware that there is no clear statement from the government or any other State agency about the exact event that triggered the massive flood. However, considering the location and context of the event conjectures are that this could have been an avalanche or landslide and/or a glacial lake burst of some sort. The high altitudes of the Himalayas have been known, for time immemorial for the harsh conditions of the climate and floods. But in recent decades, these ecologically and geologically fragile and sensitive terrains have become even more vulnerable due to rapidly changing climatic patterns.

Let us acknowledge that these climatic changes, be it erratic rainfall or deglaciation due to increased READ MORE

Stop Extension of Environment Clearance for Integrated Kashang Hydropower project in geologically fragile and ecologically diverse, tribal area Kinnaur, Himachal Pradesh!

Image 1: Massive Slope Failure in Pangi region on 30th April 2020

On the 30th of April 2020, a large portion of a steep READ MORE

Press Note: 13 May 2019 | Lack of safety compliance in Hydro Projects invitation to disasters: Community representatives, activists to authorities

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Lack of safety READ MORE

संकट में पहाड़: जल विद्युत् परियोजनाओं से प्रभावित क्षेत्रों के लिए पुस्तिका प्रकाशित

हिमधरा पर्यावरण समूह ने जल विद्युत् परियोजनाओं से जुड़े मुद्दों और हिमाचल की जनता के इन परियोजनाओं को ले कर अनुभवों पर ‘संकट में पहाड़’ नामक दस्तावेज़ प्रकाशित किया है। कानूनी और नीतिगत जानकारी के अभाव में परियोजना प्रभावित जनता के सामने अपनी समस्याओं के हल निकालने के बहुत कम रास्ते रह जाते हैं। “यह मार्गदर्शिका साधारण भाषा में जल विद्युत् परियोजनाओं को ले कर कुछ ढांचागत सवाल उठाती है और साथ ही साथ कानूनी जानकारी की कमी को कुछ हद तक पूरा करने की कोशिश है। साथ ही हिमाचल में जल विद्युत् परियोजनाओं के जनता के अनुभवों को बांटने का एक प्रयास है।

पिछले दो दशकों से देश व प्रदेश की नीतियों के चलते हिमालयी क्षेत्र में जलविद्युत परियोजनाओं के निर्माण को बढ़ावा दिया गया है। स्थिति यह है कि आज हिमालयी क्षेत्र में लगभग सभी छोटी बड़ी नदियों पर जलविद्युत परियोजनाएं बन रही हैं। इन परियोजनाओं के स्थानीय जनता व पर्यावरण पर बहुत गहरे प्रभाव पड़ रहे हैं जिनको सरकारी अधिकारीयों, योजना बनाने वालों व परियोजना प्रबंधकों के द्वारा नज़रंदाज किया गया है। आज की विकास की प्रणाली में आखिर स्थानीय जनता और पर्यावरण की क्या जगह है जब सरकार और निजी कंपनियां मुनाफ़ा कमाने की दौड़ में हैं ? और लोकतंत्र में कौनसी जगह है जहां आम जनता इन परियोजनाओं पर सवाल उठा सकती है या अपने अधिकारों का हनन होने से रोक सकती है? इन सवालों का उत्तर देने की कोशिश करती है यह पुस्तिका।

इस पुस्तक की मदद से जल विद्युत् या पहाड़ी क्षेत्र में बड़े निर्माण कार्यों से प्रभावित लोग परियोजनाओं के प्रभावों, पर्यावरण संबंधी कानूनी प्रावधानों व अपने अधिकारों के बारे में अधिक जानकारी प्राप्त कर सकें।इस दस्तावेज़ के अन्तिम भाग में हमने ऊर्जा क्षेत्र व जलविद्युत परियोजनाओं के तकनीकी पहलुओं व इनकी राजनीति से संबंधित कुछ बुनियादी सवालों पर अपना नज़रिया रखने की कोशिश की है।

हमारा मनना है कि आज हिमालयी क्षेत्र पर संकट के बादल मंडरा रहे हैं। जो पर्यावरणीय, सामजिक, भौगौलिक और आर्थिक कठिनाइयां इन क्षत्रों को देखनी पड़ रहीं हैं उनमें प्राकृतिक संसाधनों के अत्यधिक दोहन का बड़ा योगदान है… और यहां की स्थानीय जनता को ही इस संकट से उभरने के रास्ते निकालने भी होंगे।

पुस्तिका की कॉपी आप यहां से डाउनलोड कर सकते हैंं।

हिमधरा समूह एक स्वायत संगठन है। हम सवतंत्र रूप से अध्ययन करते हैं और जनता की आवाज़ को तथ्यों के साथ मज़बूती देना ही हमारा काम है। साथ ही पहाड़ की नदियाँ और वन के संरक्षण के लिए कार्यरत हैं ।

PRESS NOTE : NGT directs Kashang Project Forest Diversion Proposal to be placed before Gram Sabhas of affected villages; asks for compliance to provisions of Forest Rights Act 2006

5 May 2016

The National Green Tribunal, yesterday, on 4th May 2016, passed a judgement directing the Ministry READ MORE