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Press Note: 6 Dec 2019 | Villagers rise against Luhri II hydropower project: Reject half-baked Social Impact Assessment report at Public Hearing
Residents of village Nanj of Karsog Tehsil, gathered at the Public hearing for SJVNL’s 172 megawatt Luhri II hydropower project at the local patwarkhana, termed the program a farce and outrightly rejected the Social Impact Assessment report prepared as part of the rules preceding the land acquisition process. The villagers alleged that they were not given sufficient notice and complete information about the dam project prior to the Public Hearing. A copy of the report was not made available to the public representatives like the Zilla Panchayat members even. Residents of the affected area of the proposed project added that the SIA report made by 2 private consultants did not have any details about the impact of the project, was sketchy and half baked. Angered by the damage to houses caused due to landslides during the survey work for the project, the villagers said that the area was fragile and not suitable for this kind of mega construction which involves dynamiting.
The Luhri II is one of the three projects being built on the last free following stretch of the Sutlej river between Rampur and Kol Dams, the other two being Sunni Dam and Luhri 1 project. A total of 174.35 hectares of land is required for the Luhri II project alone of which about 150 hectares is forest land and the rest private agricultural land. The 1741.65 crore project is going to impact 8 villages and submerge 119.79 hectares of land spread across 7.5 kms. The project involves construction of an underground power house and tunnel as well.
Resident of Nanj, an organic farmer and social activist Nek Ram Sharma while submitting his objection to the panel, comprising of officials of the district administration, said that people of the area including several Gujjar pastoral families, had their community rights over the 150 hectares of forest land and that the rights were not yet recognised under the Forest Rights Act 2006. Zilla Parishad Member Shyam Singh Chauhan said that the SIA was nothing but a bunch of lies creating the false picture that the affected area had unemployment and no source of water and that agriculture was not so beneficial where as the truth is the opposite. The area is known for its forest conservation initiatives as well as farm produce. He said that any impact assessment should be conducted in consultation with the affected communities and such an inadequate report will just not do. The same was also raised by the Uppradhan Shri Tejender of Nanj Panchayat who submitted that this Public Hearing be stalled as it did not follow due process.
Chairperson of the Public Hearing Panel, SDM Karsog, Surendra Thakur recorded that the SIA report had several shortcomings as submitted and assured the people that the report would be sent to the central authorities only after it was revised and all inputs of the local people incorporated. He also conveyed that there will be no attempt to acquire land by force for the project.
The women of the affected area sloganeered outside the Public Hearing pandal asserting that their livelihood and life was dependent on land and forests and that the project would spell doom for their community and that they would oppose the project no matter what.
Apart from the SDM, the hearing was attended by Land Acquisition officer Op Negi, MJ Nandlal of SJVNL, AGM Akshay Acharya and DGM Rajendra Sachdev. These other members did not respond to the objections raised.
The community representatives, apart from the gathering of locals, had ex Pradhan Nanj Rooplal, resident and activist NekRam Sharma, Zilla Parishad member Shyam Singh Chauhan, Bashir Mohammad, Praveen and others. The Social Impact Assessment is carried out for large projects involving land acquisition as part of the Himachal Pradesh Right to Fair Compensation and Transparency in Land Acquisition, Rehabilitation and Resettlement (Social Impact Assessment and Consent) Rules, 2015. The process is separate from the Environment Impact Assessment Public Hearing which is still pending for this project.
प्रेस नोट: 6 Dec 2019 |लूहरी 2 बांध परियोजना के खिलाफ उतरे ग्रामीण
जनसुनावाई को करार दिया नाटक – सामाजिक प्रभाव आंकलन रिपोर्ट को किया खारिज
करसोग उपमंडल के गांव नांज में प्रस्तावित 172 मेगावाट लुहरी बांध परियोजना-2 की जन सुनवाई आज नांज गांव के पटवारखाना में एसजेवीएनएल व जिला प्रशासन के अधिकारियों की उपस्थिति में आयोजित की जिसमें ग्रामीणों ने जनसुनवाई को नाटक करार दिया है और सामाजिक प्रभाव आंकलन रिपोर्ट को खारिज कर दिया है। ग्रामीणों का आरोप है कि सरकार ने बिना नोटिस दिए बांध के लिए टेस्टिंग शुरू कर दी। टेस्टिंग के दौरान सुरंग बनाने के लिए किए गए विस्फोटों से कई घर गिर चुके हैं। इतना ही नहीं ग्रामीणों का आरोप है कि सामाजिक आंकलन प्रभाव रिपोर्ट निजी कंपनी अबानकी इन्फ्रास्ट्रकचर एप्लीकेशनस एंड इंटिग्रेटिड डेवेलेप्मेंट प्राइवेट लिमिटेड ने मनमर्जी से बनाई है, ग्रामीणों पंचायत, ब्लाक समिति सदस्यों व जिला परिषद सदस्यों तक को यह रिपोर्ट नहीं दी गई। जनसुनवाई से पूर्व अपनाई जाने वाली संपूर्ण प्रक्रिया नहीं अपनाई गई।
प्रस्तावित लुहरी बांध परियोजना 1 से 27 किलोमीटर नीचे सतलुज नदी पर मंडी जिले के नांज गांव में 172 मेगावाट की लुहरी बांध परियोजना 2 प्रस्तावित है। इस परियोजना के लिए कुल 174.3584 हेक्टयेर भूमि को अधिग्रहण किया जाएगा। इस में 150.2135 हेक्टेयर भूमि वन भूमि है और वहीं 24.1449 हेक्टेयर भूमि निजी भूमि है। इस बांध से आठ गांव प्रभावित होंगे। इस बांध का जलाश्य 7.50 किलोमीटर का होगा जिससे 119.7991 हेक्टेयर भूमि जलमग्न होगी। इस परियोजना के लिए भूमिगत पावर हाउस शिमला जिले में बनेगा जिस के लिए सुरंग नांज गांव के नीचे से होकर गुजरेगी। इस परियोजना की कुल लागत 1741.65 करोड़ रूपए है।
सामाजिक कार्यकर्ता नेकराम ने जनसुनवाई में जनता की तरफ से आपत्ति दर्ज करवाते हुए कहा कि – जंगल की 150 हेक्टेयर जमीन जा रही है, जो रिपोर्ट तैयार की गई हैं उसमें वन अधिकार कानून के तहत मिले अधिकारों को खारिज कर दिया गया है, गुजर समुदाय व ग्रामीण सदियों से जंगलों पर अश्रित हैं, अगर यह परियोजना आएगी तो यह सारे अधिकार खारिज हो जाएंगे। रिपोर्ट में लिखा गया है कि नांज गांव के वन अधिकार कानून के तहत कोई वन अधिकार नहीं है, यह गलत है।
जनसुनवाई के दौरान जिला परिषद सदस्य श्याम सिंह चौहान ने कहा कि सामाजिक आंकलन प्रभाव रिपोर्ट झूठ का पुलिंदा है, रिपोर्ट बताती है कि प्रभावित गांव में पानी की व्यवस्था नहीं, लोग बेरोजगार है, कृषि योग्य भूमि नहीं है जबकि नांज गांव पूरे क्षेत्र में आर्गेनिक खेती के लिए प्रसिद्ध है, इलाके में नकदी फसलें उगाई जाती है। अगर यह परियोजना पूरी होती है तो न केवल यहां का सामाजिक तानाबाना टूटेगा बल्कि पर्यावरण पर इसका जो असर पड़ेगा उसकी भरपाई कभी नहीं हो सकती।
जन सुनवाई की अध्यक्षता कर रहे करसोग एसडीएस सुरेंद्र ठाकुर ने कहा कि – “जन सुनवाई के दौरान ग्रामीणों और जनप्रतिनिधियों ने जो सुझाव दिए हैं व आपत्तियां दर्ज करवाई हैं, वह बहुमूल्य हैं, सामाजिक आंकलन रिपोर्ट तैयार करने वाली कंपनी की रिपोर्ट में बहुत सारी कमियां है। यह रिपोर्ट केंद्र सरकार को तभी भेजी जाएगी जब ग्रामीण व जनप्रतिनिधियों के साथ मिलकर दोबारा बनाई जाएगी। लोगों से जबरदस्ती जमीन नहीं ली जाएगी, अगर कोई जबरदस्ती भूमि अधिग्रहण करता है तो आप प्रशासन के पास आइए। अगर आप जमीन देने के लिए तैयार नहीं है तो यह परियोजना नहीं लगेगी।”
नांज पंचायत उप प्रधान तेजेंद्र ने जन सुनावाई में सवाल दागते हुए कहा कि – हमारे साथ धोखा किया जा रहा है। सामाजिक आंकलन रिपोर्ट में लिखा गया है कि लोग बेरोजगार हैं, केवल एक फसल होती है, पानी की व्यवस्था नहीं यह गलत है। अगर रिपोर्ट ही गलत है, और हमें तुरंत रिपोर्ट दिखाई जा रही है तो हम इस पर अपनी क्या राय दें। हमें रिपोर्ट पहले दी जानी चाहिए थी, जन सुनवाई का नोटिफिकेशन समय पर देना चाहिए था। यह जन सुनवाई खारिज की जानी चाहिए। हम इस जन सुनवाई को नहीं मानते। जन सुनवाई में शामिल महिलाओं ने परिसर के बहार नारेबाजी करते हुए परियोजना को रद्द करने की मांग की। उनका कहना था कि अगर हमें जमीन से उजाड़ दिया जाएगा तो हम दोबारा बस नहीं पाएंगे। सबसे अधिक प्रभाव महिलाओं पर पड़ेगा। हम सब्जी और पशुओं से लाखों रुपये कमा लेते हैं। अगर इतनी जमीन जाएगी, जंगल जाएगा तो वह पशुओं को कहां पर चराएंगे।
बीडीएस सदस्या सत्या, ग्रामीण महिला मीणा देवी, द्रेपदी आदि ने कहा कि रिपोर्ट तैयार करने से पहले और बाद में भी हम से संपर्क नहीं किया गया। मनमर्जी के साथ रिपोर्ट तैयार की है। हम इसको खारिज करते हैं और जमीन नहीं देंगे। जितनी लड़ाई लड़नी पड़ी हम लड़ेगे। जन सुनवाई में एसडीएम करसोग सहित भूमि अधिग्रहण कलेक्टर हिमाचल प्रदेश ओपी नेगी, एसजेवीएनएल से एजेएम नंदलाल, एजेएम अक्षय आचार्य, डीजेएम राजेंद्र सचदेव उपस्थित रहे। जनसुनवाई पर उन्होंने प्रतिक्रिया देने से मना कर दिया। सभा में सैंकड़ों ग्रामीणों सहित नांज पूर्व प्रधान रुपलाल, सामाजिक कार्यकर्ता नेकराम, जिला परिषद श्याम सिंह, बशीर मोह्मद, प्रवीण आदि ने भाग लिया।
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